
जोगिन्दर नाथ मंडल के नाम से बहुत कम लोगो को पता है, 1947 में पाकिस्तान के कानून मंत्री बनाये गए । ये बहुत बड़े मीम भीम के सबसे बड़े वाहक थे | इन्ही की गलती के कारण जो दलित पाकिस्तान और बांग्लादेश में रुक गए | जिन्होंने दलितों को भारत आने के स्थान पर बंगलादेश और पाकिस्तान में रुकने की प्रेरणा दी थी। बाद में वहां के मुस्लिम बहुसंख्यकों ने उन्हें इतना परेशान किया कि उन्हें भाग कर भारत आना पड़ा और गुमनामी में उनकी मृत्यु हो गई। आज जो कुछ भी बांग्लादेश में हिन्दुओ के साथ बर्बरता पूर्वक कहर बनकर कबीलाई कोम कर रही है, इनकी सूत्रधार भी यही था, जोगेंद्र नाथ मंडल के प्रेरणा से ही दलित हिन्दू पाकिस्तान में रुके थे ये बहुत बड़े सेकुलरवाद के पुरौधा बनकर आये थे, जोगेंद्र नाथ मंडल भूल गए थे की ये कबीलाई अपने रसूल के नही हुवे तो आपका क्या होगा, उनके लिए एक काफ़िर हो जो उनके किताब में क़त्ल करने की इजाजत है |
अल्पसंख्यको का भविष्य
यह केवल एक नाम नहीं है। ऐसी ही एक और नाम है बांग्लादेश के वित् सचिव श्री कमल भूषण चौधरी की। आपने स्वेच्छा से पाकिस्तान में रहने की फैसला किये । चौधरी जी भी जोगिन्दर नाथ मंडल की तरह ही सबसे बाद सेक्युलरवाद थे | ये मीम भीम की नशा में चूर रहते थे | उच्च सरकारी नौकरी पर थे।भारत आने का विकल्प था। पर पाकिस्तान की सेवा का निर्णय लिया |और भारत नही आये | उनके बारे में एक प्रसिद्द भारतीय पत्रकार क्षितीश वेदालंकार जी से मिले। क्षितीश जी ने अपनी पुस्तक बंगलादेश स्वतंत्रता के बाद में इस वार्तालाप का वर्णन किया |
क्षितीश जी ने पूछा- इस निश्चय का क्या कारण है ? तो वे बोले- कायदे आजम का सब नागरिकों के साथ के एक समान बर्ताव का आश्वासन और नई चुनौतियों को स्वीकार करने में एक एडवेंचर भी है।
पर जोगिन्दर नाथ मंडल की तरह भूल गए की ये सब सिर्फ दिखावा है |यहाँ पर किसी गैर धर्म की कोई आवश्कता है नही | मीम भीम एक झूठा सपना है और कुछ नही ,ये लोग भूल गए की एक ऐसे कोम के पास हो जहा ज्ञान की कोई जरुरत है ही नही | यहाँ सिर्फ इनकी पहचान सिर्फ काफ़िर तक ही सिमित थी ये सिर्फ काफ़िर थे ये बात इन लोगो को समझ नही आया |
कमल भूषण 1947 तक अखंड भारत की स्वतंत्रता के स्वप्न देखते थे ,और वन्देमातरम के नारे लगाते थे। वे भी गाँधी जी के समान हिन्दू-मुस्लिम एकता की बात करते थे। बहुभाषीय, बहुजातीय और बहुधर्मीय भारत का आधार सामन्यात्मक संस्कृति को मानते थे। यहाँ तक कि कोलकाता और नोआखली में मुस्लिम लीग द्वारा खेले गए खुनी खेल को वो क्षणिक पागलपन मात्र मानते थे। वो कहते थे कि आवेश में मनुष्य पशु बन जाता है पर फिर से मनुष्य बनते भी देर नहीं लगेगी। उनका विश्वास था कि ईमानदारी और कर्तव्य की बदौलत सेवाओं का पाकिस्तान में उचित मूल्याकन होगा। पर वह दौर कभी नहीं आया। और न ऐसा कभी हुआ इसके बदले उलटे ही इसे जासूस होने का सक जाहिर करने लगे उनकी ईमानदारी और कर्तव्य सब धरे के धरे रह गये , उन्हें सिंध में रहते हुए यह अहसास होने लगा कि वो पाकिस्तान में एक अवांछित व्यक्ति है।
जोगिन्द्र नाथ मंगल और श्री कमल भूषण चौधरी पर विश्वासघात
ये उन पर कर्तव्य निष्ठा का परिणाम ही था की उस पर भारतीय जासूस होने का शक किया जाने लगा । जबकी वह अपना कार्य पूरी मेहनत के साथ किया करते थे। उनके एक ही कसूर था कि वे हिन्दू थे। उनके पीछे सदा गुप्तचर रहते थे। उनकी पत्नी और बच्चों को लगातार परेशान किया जाता था। एक समय तो यह स्थिति आ गई थी कि उनकी पत्नी पिस्तौल लटकाये मर्दाने वेश में रोज़ रात को उनकी कोठी के गेट पर पहरा दिया करती थी।
कम शब्दों में पाठक स्वयं समझ सकते है कि एक उच्च योग्यता प्राप्त व्यक्ति के साथ पाकिस्तान में क्या होता है तो गरीब, अनपढ़ व्यक्ति के साथ कैसा होता होगा? 1971 पश्चात चौधरी बंगलादेश में रुक गए। मगर उनकी हालात में तब भी कोई सुधार नहीं हुआ। एक मुस्लिम देश में गैर मुस्लिमों के साथ ऐसा व्यवहार इनकी मानवता को शर्मसार करने जैसा था | जिस कोम धर्म के आगे योग्यता कोई माने नहीं रखती। इसलिए मानवता के ऊपर इस्लाम पिछले 14 00 सालों से राज करता आया हैं।
जोगिन्द्र नाथ मंगल और श्री कमल भूषण चौधरी जैसो को तब समझ में आया जब तक सब कुछ खत्म हो चूका था |इनकी मीम भीम एकता सब कुछ खत्म हो गया | जोगिन्द्र नाथ मंडल जैसो ने ही दलित हिन्दुओ को पाकिस्तान में रहने की प्रेरणा दिया था को आज नरक की जिन्दगी जी रहे है | उनके बहु बेटियों के साथ कितना अत्याचार किया जाता ये किसी से छुपा नही है|
जोगिन्द्र नाथ मंडल और श्री कमल भूषण चौधरी जी जैसो की अंत किस कठिनाइयों से गुजरी किसी को नही पता ,इनकी जिन्दगी गुमनामी में खत्म हो गई |कहने का मतलब ये है की जब इतने उच्च पद पर रहने के वावजूद इन लोगो की हालत क्या से क्या हो गया किस तरह गुमनामी में चले गये ,इनकी योग्यता की कोई कदर नही किया गया क्योकि ये हिन्दू थे | अब ये बताये की गरीब दलित हिन्दुओ के साथ क्या करता होगा |
अब आप बताये कि क्या ऐसे दो करोड़ गैर मुसलमानों को अपने शोषित जीवन से मुक्ति दिलाकर भारत में यथोचित सम्मान क्यों नहीं मिलना चाहिए ? इसलिए CAA और NRC का समर्थन पुरंजोर से करना चाहिए |