झूठी वाहवाही में सच से कितने दूर है संविधान निर्माताओ की अजीब कहानी, जो पक्ष और विपक्ष में घमासान आज से नही 70 सालो से झूठ की बीज को बोया जा रहा है, इस झूठ को इतना बार परोसा गया की यह सच भी झूठ लगने लगा |
बड़ी अजीब बात है की
संबिधान निर्माताओ में 389 सदस्यों में से
सिर्फ एक नाम ही लिया जाता, बाबा साहब को एक टूल की तरह प्रयोग किया, जिसको जिस तरह मिला उस तरह से वोट
बैंक के लिए बाबा साहब को प्रयोग कर वोट का फसल काटा पर ये माननीय हमें 70 सालो से
झूठ के बुनियाद पर खड़ा कर दिया, जो बिलकुल सच से परे था,
हम जानने की कोशिश करते
है की सच आखिर है क्या
संविधान निर्माताओ की कुल
389 सदस्य थे, इनमें से 292 सदस्य प्रांतीय प्रतिनिधि करते थे, इनमे
से 15 महिलाये थी | जो अलग अलग प्रान्त के
प्रतिनिधित्व करते थे, संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद थे, जो की देश
के प्रथम राष्ट्रपति थे |
संविधान सभा में संविधान निर्माण के लिए कुल 22 समितियां बनाई थीं, इनमें से आठ प्रमुख समितियां
थीं और बाकी छोटी समितियां बनाई गई थी |.
उनमें से 8 प्रमुख समितियों में से एक प्रमुख समिति
"प्रारूप समिति" Drafting Committee के अध्यक्ष डॉ बी आर अंबेडकर थे। ध्यान देने वाली बात है की कुल 22 समितियों
से सिर्फ एक समिति के प्रमुख थे |
इनमे से प्रमुख नाम
- एन. गोपालस्वामी अयंगार
- अल्लादी कृष्णास्वामी अय्यर
- डॉ. के.एम मुंशी
- सय्यद मोहम्मद
- एन. माधव राव
- टी.टी.कृष्णामाचारी
- बी..एन. राव
ऐसा प्रतीत होता है की
शेष 388 सदस्य 114 दिनों में आयोजित हुए 11 सत्रों के दौरान सारे सदस्य आलू छिलने,पतंगें
उड़ाने, लट्टू नचाने, कंचे खेलने और गप्पे लड़ाने में व्यस्त रहते
थे। मानो दुसरे अन्य सदस्यों ने कुछ काम किया ही नही, ये बात अलग है कि, संविधान
सभा के 389 सदस्य देश के
सर्वश्रेष्ठ विद्वानों की जमात थी। जो देश के प्रतिनिधित्व करते थे ये सारे विद्वान
अलग अलग प्रान्त और अलग क्षेत्रो के प्रखर विद्वान के जानकर थे,
पूरे संविधान में एक शब्द या प्रावधान ऐसा नहीं
है जिसे संविधान सभा के 388 सदस्यों ने खारिज़ कर
दिया हो, लेकिन डॉ अंबेडकर ने अपनी मर्जी से जबरिया डाल दिया हो। पूरा संविधान उन
विद्वानों की सर्वसम्मत सहमति या बहुमत से पास हुए प्रावधानों/प्रस्तावों का
परिणाम हैं। न की केवल बाबा साहब ने अपनी मन मर्जी से सब कर दिया हो इन 389
सदस्यों का योगदान कभी भुलाया नही जा सकता इन सभी विद्वानों की एकमत सहमती से सारा
प्रावधानों को जाँच परख कर पटल पर रखा गया था | लेकिन सिर्फ एक नाम छोड़कर सभी को
गुमनाम कर दिया, ऐसा प्रतिक बना दिया गया की किसी एक ने ही पुरे संविधान को रच
डाला था |
संविधान दिवस में अबतक
हुई चर्चा में उस संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेन्द्र प्रसाद समेत शेष 388 सदस्यों का जिक्र तक नहीं किया गया। ये नइंसाफी
है की नही तो क्या है , हम किसी और को चर्चा तक नही करते ये लोग अपने अपने सहूलियत
से बाबा साहब को मोहरा बना कर रख दिया |
दलितों को आरक्षण का
प्रावधान संविधान का हिस्सा था, जो इन्हीं विद्वानों के बहुमत से सहमति से बन सका था।
इसके बिना यह संभव ही नही हो पाता। इन सभी विद्वानों के कठिन प्रयास से ही दलितों
को आरक्षण सम्भव हो पाया था |
उन सभी विद्वानों के प्रति असीम कृतघ्नता, असहिष्णुता का निकृष्ट प्रदर्शन कर के केवल डॉ
अंबेडकर का ढोल बजाकर छाती पीटने वाले अपने गिरेबान में जरुर झाकें, तो घिन आएगी, अपने आप पर |
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