केदार नाथ तबाही : आपदा में अवसर देख माँ ,बेटा और दमाद ने किया खरबों का घोटाला, आज तक नही पंहुचा राहत सामग्री ...

Sidheswar
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16 जून 2013 को उत्तराखंड केदारनाथ में बादल फटा था, चारो तरफ भीषण तबाही मचा था। केदारनाथ में लगभग पच्चीस हजार श्रद्धालु मारे गये थे और करीब लाखो हिन्दू श्रद्धालु प्रभावित हुआ था | लगातार

तीन दिनों तक चली इस भीषण तबाही में कांग्रेस की सरकार ने केदारनाथ में फंसे श्रद्धालु भक्तों की कोई मदद नही की।चौथे दिन जब इस भयंकर तबाही की खबर अंतरराष्ट्रीय मीडिया की सुर्खियां बन गई, तब निर्लज्ज कांग्रेस ने सहायता भेजने का एलान किया, ध्यान देने वाली बात सिर्फ एलान भर ही तो था |

18 जून को Antonio Maino सोनिया गांधी अमेरिका अपना गुप्त इलाज कराने गई हुई थी, सोचने वाली बात ये है की 16 जून को भीषण तबाही हुई और 18 जून को मेडिकल ट्रिप के लिए अमेरिका चली गई, दूसरी ओर राहुल गांधी बैंकॉक में मसाज का आनंद ले रहे थे। किसी को कोई चिंता नही थी की की इतनी बड़ी भीषण दुर्घटना की , उन्हें सूचना भेजी गई तब दोनों मां बेटे 21 जून को भारत पहुंचे |
आपदा में सहायता के नाम पर नाटक

कांग्रेस ने बहुत तामझाम करके आपदा में फंसे लोगों की सहायता के लिये बिस्किट के पैकेट और पानी की बोतलों के आठ ट्रक रवाना कियेजिन पर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के बड़े बड़े पोस्टर लगाकर मां बेटे ने उन्हें झंडी दिखाकर रवाना किया फोटो भी खिंचवाए गये जो अखबारों की सुर्खियां बने थे।

उन ट्रकों को न किराया दिया गया न डीजल दिया गया था। आठ दिन भटककर उन ड्राइवरों ने वो बिस्किट बेचकर अपना किराया वसूल किया और निकल लिये।आज तक कोई पूछने भी नही गया उस राहत सामग्री का क्या हुआ | फिर जब वहां लाशें सड़ने लगी तो महामारी का खतरा बढ़ता देख आसपास के गांवों के लोगों ने आन्दोलन किया।वह भी पन्द्रह दिन बाद किया जब लाशों से बदबू आने लगी थी। कई ग्रामीणों ने सामूहिक दाहसंस्कार भी किये लेकिन शव ही शव फैले देखकर लोग डर गये थे।
अब देखे हिन्दुओ की लाशों पर कैसे व्यापार हुआ। तब कांग्रेस ने उन लाशों को निकालने के लिये एक विज्ञप्ति निकाली।एक कम्पनी आगे आई जिसने एक लाश निकालने के 4,60,000 ( चार लाख साठ हज़ार ) रुपये में टेंडर लिया था। और लगभग 16,000 लाशें तीन दिन में निकाली थी।
लाशो की व्यापारी

सरकार ने उस कम्पनी को 'सात अरब छतीस करोड़' का भुगतान तुरन्त कर दिया था। हालांकि लाशें मिलने का सिलसिला महीनों चलता रहा, फिर कई दिन कंकाल मिलते रहे। हाँ लाशें निकालने वाली कम्पनी रॉबर्ट वाड्रा की थी जो उसने किराये के हेलीकॉप्टर लेकर रातोंरात बनाई थी। इन माँ, बेटा और दामाद ने मिलकर किस तरह आपदा में अवसर तलाश किया और करोडो रूपये का घोटाला कर डाला | इस परिवार ने किस तरह से हिन्दुओ के लाशो को बेचकर खरबों रूपये बनाये क्या कभी हिन्दुओ को भुलाना चाहिए ,पता नही हिन्दू इतना नीचता क्यों करता है जो इस लाशो की व्यापारी को वोट देता है |

कांग्रेस की सरकारी सहायता के नाम पर किया नाटक भी याद रखियेगा। हिन्दुओ के लाशो को किस तरह बेचा था इस हर हिन्दू याद रखना चाहिए था | मां बेटे के भेजे बिस्किट आज भी नही पहुंचे हैं। विश्व के इतिहास में लाशों का इतना बड़ा व्यापार सुनने को मिले तो बताइएगा। 7,36,00,00,000 (सात अरब छत्तीस करोड़) का घोटाला हुआ |

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