नेहरू ने " देशद्रोही " कहा बाबा साहब अंबेडकर को, नेहरु और कम्युनिस्टो की बेईमानी से 1952 की आम चुनाव में हराया |

Sidheswar
0

 


1952 की आम चुनाव और अंबेडकर 

1952 चुनाव में नेहरु और कम्युनिस्ट पार्टी ने एक दूध बेचने वाला  नारायण कजरोलकर को अंबेडकर को विरोध उमीदवार बनाकर चुनाव हरा दिया था | डॉ. अंबेडकर की चुनावी हार, उस समय नेहरु दो बार चुनाव प्रचार करने के लिए मुंबई गए थे | नेहरु के सह पर ही कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख " श्रीपद अमृत दांगे " ने पर्चे बंटवाकर जिसमें अंबेडकर को खुलेआम "देशद्रोही" कहा था | इस चुनाव के पहले ही अंबेडकर ने अपने मंत्री मंडल से इस्तीफा देकर उतरी मुंबई से उमीदवार थे |

 

इस चुनाव में अंबेडकर को हराने के लिए जमकर धांधली हुई और अंबेडकर करीब 14 हज़ार मतों से हार गये थे,  हैरान करने वाली बात है की इस चुनाव में  78 हज़ार वोट कैंसिल किये गये थे, इस हार का विस्तार से वर्णन पद्मभूषण से सम्मानित लेखक " धनंजय कीर " ने अपने किताब डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर - जीवन-चरितमें - पेज नंबर 418 में किये है | इस किताब को जरुर पढ़ना चाहिए ताकि समझ सके की किस तरह से नेहरु और कम्युनिस्टो की मिली भगत से बाबा साहेब को इस चुनाव में पराजित किया गया था | इस किताब में नेहरु के काले करतूतों को विस्तार से चर्चा किया गया है |

इस चुनाव से पराजीत होने के बाद अंबेडकर ने कहा - मुंबई की जनता ने मुझे इतना बड़ा समर्थन दिया तो वो आखिर कैसे बरबाद हो गया, इलेक्शन कमिश्नर को इसकी जांच करनी चाहिए, तथा समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण ने भी समर्थन देते और कहा कि - इस चुनाव को लेकर अंबेडकर की तरह मेरे मन में भी शक है, सबकुछ होने के वावजूद कोई क़ानूनी करवाई नहीं हुई और न ही इलेक्शन कमिश्नर ने को जाच ही बैठाया, इस हार से लोगों को काफी आश्चर्य साथ ही लग काफी गुस्सा भी था, अंबेडकर का मानना भी था कि कम्युनिस्ट नेता के षड़यंत्र की वजह से उनकी हार हुई है।

 चुनावी धांधली के खिलाफ अदालत की और रुख 

बाबा साहेब अंबेडकर ने इस चुनावी धांधली के खिलाफ अदालत में केस दायर किया था, पर वहां भी किसी न सुना गया अदालत से बाबा साहब को खाली हाथ ही मिला, उस वक्त के जानी मानी अमेरीकी लेखक गेल ओमवेट अपनी पुस्तक “Ambedkar: -- Towards an Enlightened India” में लिखती हैं – “1952 में अपनी चुनावी हार के बाद अंबेडकर ने अदालत में केस दायर किया। जिसमें उन्होने आरोप लगाया गया कि श्रीपद अमृत दांगे की अगुआई में वामपंथियों ने उनके खिलाफ चुनाव में धोखाधड़ी और गलत प्रचार किया | इन्ही गलत प्रचार कर चुनाव हरा दिया साथ ही 78 हज़ार वोट रद्द कर दिए गए |

 

चुनाव हार के बाद की कालचक्र 

इस हार ने अंबेडकर अपने आप टूट चुके थे, और हार के गहरे सदमे से वो बीमार रहने लगे, उनकी सेहत में काफी फर्क आने लगा उनकी स्वस्थ काफी तेज़ी से गिरने लगी, ये बात बाबासाहेब की पत्नी डॉ. सवित्री अंबेडकर ने कही थी, अपने करीबी मित्र के पत्र में जिक्र किया गया है, जो 1952 में हार के बाद उनके बेहद करीबी मित्र " कमलकांत चित्रे " को पत्र भेजा था जिसमें उन्होने इस बात का जिक्र किया गया था |  


डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर - जीवन-चरित / लेखक - पद्मभूषण धनंजय कीर ने उनके जीवन चरित्र में वर्णन किया गया है राजनीति बाबासाहब का जीवन है। राजनीती ही उनकी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए शक्तिवर्धक दवा  है उनकी बीमारी शारीरिक नहीं बल्कि मानसिक है। उन्होने अपनी चुनावी हार सह ली, लोकसभा ही उनकी कीर्ति और कर्तव्य के लिए उचित जगह होगी |

 

दुबारा हार सहन नही कर सके बाबा साहब 

2 साल बाद फिर 1954 में महाराष्ट्र के भंडारा लोकसभा सीट का उपचुनाव में बाबा साहब एक बार फिर चुनावी मैदान में उतरे, इसबार भी कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत बाबा साहब को हराने के लिए लगा दिया | लिहाजा एक बार फिर बार करीब आठ हज़ार वोटों से हार गये | 2 साल के अंदर मिली दो चुनावी हारने के बाद से डॉ अंबेडकर को गहरा सदमा लगा | इस हार के बाद बीमार रहने लगे और आखिरकार 6 दिसंबर 1956 को उनका दुखद निधन हो गया |  और इस तरह नेहरु ने कोई कसंर नही छोड़ा बाबा साहब को अपमान करने में,

अगर कोई नेहरु का वंशज या वामपंथी या फिर कोई कट्टर मानसिकता चाटुकार इंसान आपके सामने जय भीम-जय मीम का नारा लगाए तो उसे आप ज़रूर बताएं की डॉ. अंबेडकर के खिलाफ किसने साजिश रची थी। उनको 1952 के चुनाव में किया गया साजिश का थप्पड़ जरुर जड़ देना | नेहरु के करतूतों का सूची यही ख़त्म नही होता आगे भी जारी रहेगा |

नेहरू ने किस तरह से बाबा साहब का अपमान किया ये 1952 की चुनाव में पता चल गया होगा, पर आज के समय उनके वंशज बाबा साहब के नाम पर जो गला फाड़ कर कूद फाद कर रहे है, क्या पुराने इतिहास को भुला दिया | कांग्रेस ने क्या सम्मान दिया ये तो 1952 के चुनाव में दिख गया था |

-----------------------------------


Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें (0)

#buttons=(Ok, Go it!) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Ok, Go it!
To Top