नेहरू गाँधी परिवार और उनके वंशज की बाबर प्रेम

Sidheswar
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क्या गाँधी परिवार बाबर का वंशज  है ,चलिए देखते है आखिर गाँधी परिवार के सबसे सीक्रेट क्या है ,इतने बड़े परिवार जो भारत में वर्षो राज किया ,पूरा देश नेहरु गाँधी परिवार के आगे नतमस्तक थे | जिस परिवार के लोग तीन तीन पीढी तक देश के सत्ता में काबिज रहे ,आज उसके पीढ़ी के बारे में कोई नही जनता, ऐसा कहा जाता है की नेहरु के वंशज  कोई कश्मीरी हिन्दू पंडित नही थे जबकि ये एक मुस्लिम परिवार था जो बाबर के वंशज  थे | ये सभी उज़्बेकिस्तान जहाँ बाबर का जन्म स्थान है ये वही है चंगेज खा और तैमुर के वंशज है | 

नेहरु,गाँधी परिवार की कुछ असलियत जो लोगो को नही पता है ,आखिर नेहरु टाइटल कहाँ से आया दुनिया में कही भी हो हिन्दू का न तो टाइटल और न ही कोई जाति होता है, नेहरु फिर नेहरु टाइटल कहाँ से आया ,ये तो किसी को पता ही नही, न कहीं पर कोई डॉक्यूमेंट है |  कहा जाता है की ये कश्मीरी पंडित हिन्दू है पर कश्मीर में कोई ऐसा न जाति है न कोई नेहरु टाइटल ,फिर इसी के वंशज कहते है की दत्तात्रेय ब्राहमण गोत्र है ,पर ये जान कर आश्चर्य होगा की पूरी दुनिया में दत्तात्रेय ब्राहमण गोत्र है ही नही | 

चलिए अब आगे बात करते है इस गाँधी नेहरु परिवार के वंशज  के बारे में कही भी कोई लिखित डॉक्यूमेंट है ही नही,मोतीलाल नेहरु के पूर्ब के वंसज कौन है उनके पिता और दादा कौन थे |इसके बारे में कही कुछ नही मिलेगा ,सिर्फ मोतीलाल नेहरु की पिता का नाम गंगाधर नेहरु का ही पता चलता है ,न ही कोई फोटो उपलब्ध है और न ही कोई  डॉक्यूमेंट ,

ऐसा कहा जाता है की गंगाधर नेहरु का असली नाम गयासुद्दीन था और मोती लाल नेहरु का नाम मोईन खान था ,गयासुद्दीन ने अपना नाम साजिश के तहत या फिर अंग्रेजो के डर से हो या हिन्दुओ के साथ मिलकर रहने के लिए अपना नाम बदल लिया था |  पर जो भी हो इतने बड़े खानदान का कोई  सच क्यों नही है |

  नेहरु एक्सीडेंटल हिन्दू 

तभी तो नेहरु ने कहा था की मै एक्सीडेंटल हिन्दू हूँ ,नेहरु जब सत्ता में थे तब भी हिन्दुओ के खातिर ऐसा कुछ नही किया जो याद किया जा सके ,आखिर नेहरु मुस्लिमो और मुस्लिम देशो के साथ इतने करीबी क्यों था | चाहे कश्मीर हो या फिर हैदराबाद निज़ाम फिर देश को धर्म के नाम बाँट देना ये सारे कुकर्म आखिर नेहरु का ही देन था | हिंदुस्तान में मुस्लिमो को रोकना जबकि मुस्लिमो को अलग देश मिल चूका था फिर नेहरु ने मुस्लिमो को जानबुझ कर रोका और हिंदुस्तान को पाकिस्तान बनाने की कोशिश किया | ऐसे अनेको उदहारण है | 

इंदिरा  को यूनिवर्सिटी से निकाले जाना 

नेहरु की आगे की पीढ़ी है इंदिरा गाँधी इनके कारनामे को भी नजर अंदाज नही किया जा सकता है | इनका पूरा नाम इंदिरा प्रिदार्शानी नेहरु था नेहरु राजवंश की अनैतिक की प्रक्स्ठा थी | इंदिरा गाँधी को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया था पर वहां पर भी ख़राब प्रदर्शन के कारण निकाल दिया गया था | बाद में इंदिरा को शांति निकेतन यूनिवर्सिटी बंगाल में भर्ती कराया गया था ,लेकिन गुरुदेव रविंद्र नाथ टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के कारण लिए बाहर कर दिया | ये सारी बाते न तो बताया जाता है और न ही पढ़ाया जाता है ,जब शांति निकेतन से निकाला गया था तब इंदिरा गाँधी अकेलेपन की शिकार हो गई थी ,पिता राजनीती में व्यस्त थे, और माँ कमला नेहरु टीवी में जूझ रही थी ,

फिरोज खान और इंदिरा की नजदीकियां

ये सारे घटनाओ ने इंदिरा को अकेला बना दिया था , इस अकेलेपन का मोका का फायदा फिरोज नाम के एक व्यक्ति ने उठाया ,क्योकि इनलोगों को बचपन से ही ऐसे लडकियों को फ़साने की ट्रेनिंग दिया जाता है ,वही हुवा जो हर मोमिन लड़का करता है ,मोमिन ये सब मामले में बड़े शातिर होते है ,फिरोज खान एक व्यापारी था जो नेहरु के घर मंहगे और विदेशी शराब बेचने आया करता था ,फिरोज खान की हैसियत एक नौकर से जायदा कुछ नही था | इस दौरान ही फिरोज खानऔर इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गया ,उस समय महारास्ट्र के राज्यपाल डॉ श्री प्रकाश ने नेहरु चतावनी देते हुवे कहा की ये दोनों प्रेम सम्बन्ध बना रही है |

इंदिरा और फिरोज खान की शादी

जब इंदिरा इंग्लेंड में तो उसकी सहानुभूति फिरोज खान के प्रति जयादा ही था ,दोनों ने इंग्लेंड की ही एक मस्जिद में जाकर मुस्लिम रीतिरिवाज से शादी की और इंदिरा का नाम बदलकर मोमिना बेगम रखी | कमला नेहरु इस शादी से खुश नही थी ,कमला नेहरु पहले से ही टीवी की मरीज थी ,इंदिरा की शादी सुनकर और भी इनकी तबियत बिगड़ने लगा ,पर कमला जितना चिंतित थी उतनी चिंतित नेहरु नही थे ,क्योकि नेहरु पहले से मुस्लिम था ,उसके पुरे खानदान मुस्लिम ही था ,पर ये बात आज तक छुपाया जाता रहा है ,बताया जाता है की नेहरु खुद मुसमान से हिन्दू नाम इसलिए रख लिया था की उसे हिन्दू इलाके में जीवन यापन और अपने आप को बचाने के लिए अपना एक नया टाइटल नेहरु कर लिया ,नेहरु इस बात की कतय चिंता नही था की इंदिरा अपना नाम बदल के मोमिना बेगम रख लिया ,चिंता इस बात का था की इंदिरा को प्रधान मंत्री बनना खटाई पड़ जाने का खतरा जयादा था | तब एक रास्ता निकालकर एक सपथ पत्र बनाया गया और खान से गाँधी टाइटल दे दिया गया अब फिरोज खान नाम बदल कर फिरोज गाँधी बन गया और इस तरह इस परिवार को एक काल्पनिक नाम मिला गया | बाद में इंदिरा और फिरोज की शादी वैदिक रीती रिवाज से हिदुओ को आखं में धुल झोककर शादी करवाया गया और फिरोज गाँधी को मुस्लिम नही उसे पारसी बताया गया |

फिरोज खान की कब्र

जब फिरोज खान पारसी था तो उसका कब्र मुस्लिम कब्रितान में आज क्यों है , फिर मुस्लिम रीती रिवाज से इंग्लेंड में एक मस्जिद में क्यों किया गया और इंदिरा को मुस्लिम नाम मोमिना बेगम क्यों रखा गया | इस तरह से पहचान छुपाने के लिए नाम बदले और कुर्सी तक पहुच गए | आज भी फिरोज गाँधी का कब्र प्रयाग राज में है और आज भी उनके आत्मा इंतजार कर रही कब उनके परिवार में कोई मोमबती ही जला दे ताकि आत्मा को शांति मिल सके |

कुछ पुस्तके जो इंदिरा गाँधी की सचाई बयान करती

 के एन राव की एक पुस्तक थी नेहरू राजवंश उसके अंदर यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है, कि संजय गांधी भी फिरोज गांधी का पुत्र नहीं था ,जिसकी पुष्टि के लिए उसे पुस्तक में अनेक तत्वों को सामने रखा गया उसमें भी यह साफ तौर पर लिखा गया है कि संजय गांधी भी एक मुसलमान जिसका नाम था मोहम्मद यूनुस उसका बेटा था , यानी कि इंदिरा गांधी ने फिरोज गांधी से शादी करी लेकिन रिलेशनशिप रखा मुस्लिम मोहम्मद यूनुस के साथ और उसे बेटा भी पैदा कर दिया | दिलचस्प बात यह भी है कि एक सिख लड़की मेनका गांधी उसका विवाह भी संजय गांधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घर पर ही हुआ था ,और जब संजय गांधी की मौत हुई थी मोहम्मद यूनुस सबसे ज्यादा रोया भी था | अब यूनिवर्स की पुस्तक व्यक्ति जुनून और राजनीति में संजय गांधी के जन्म के बाद उसका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज के साथ किया गया था |अब कैथरीन फ्रेंड की पुस्तक है द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी उसके अंदर भी इंदिरा गांधी के अन्य प्रेम संबंधों के बारे में लिखा गया है यह भी लिखा गया है कि इंदिरा का पहला प्यार शांति निकेतन में कोई जर्मन शिक्षक था उसके साथ रहा, बाद में वह एम .ओ मुथैया जो नेहरु के नीजी सचिव थे उसने भी अपने पुस्तक में इस प्रेम कहानी का जिक्र है, उसके पिता के सचिव थे धीरेंद्र ब्रह्मचारी उसके योग भी शिक्षक थे , उनके साथ और दिनेश सिंह जो विदेश मंत्री रहे हैं उनके साथ भी प्रेम संबंधों में फंसी रही`|

नेहरू गाँधी परिवार की मुग़ल प्रेम

पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गांधी के मुगलों के संबंध के बारे में बड़ी दिलचस्प बातें लिखी है अपनी पुस्तक प्रोफाइल्स एंड लेटर्स यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गांधी जब भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गई थी, तब नटवर सिंह एक आईएफएस अधिकारी थे वह भी उनके साथ उसे दौर में साथ में गए थे ,दिन भर के कार्यक्रम को बाद इंदिरा गांधी को शाम से एक अंदर से जुनून आया कि उसे शहर घुमने करने के लिए बाहर जाना है एक लंबी दूरी जाने के बाद इंदिरा गांधी बाबर की कब्र के दर्शन करना चाहती थी , हालांकि यह प्रोटोकॉल में नहीं था और इसका जो विरोध है वह अफगान की सुरक्षा अधिकारीयों ने भी किया | आपत्ति भी जताई लेकिन इंदिरा अपनी जिद पर बनी रही और वह बाबर के कब्र चली गई जो की एक बहुत ही सुनसान जगह पर है, क्योंकि बाबर को जहां पर हो जन्म लिया था वहां पर भी कोई वैल्यू नहीं थी | उसे वैल्यू सिर्फ भारत के कुछ मानसिक रोग से पीड़ित ही करते हैं ,वह बाबर की कब्र पर सर झुकाकर आंखें बंद कर करके खड़ी रही साथ ही से उसके पीछे खड़े थे ,जब इंदिरा ने उसकी प्रार्थना समाप्त करने के बाद नटवर सिंह की तरफ मुड़कर बोली आज मैंने अपने इतिहास को ताजा कर लिया और जब खड़ी थी तो वह भी खुलासा किया गया है आज भी भारत के ऊपर काबिज हैं तेरा सपना गजवा - इ हिन्द का पूरा करके छोड़ेंगे | देखा जाय तो आज भी कांग्रेस इस रस्ते में चल रहे है | जवाहर लाल नेहरु से लेकर राहुल गाँधी तक सभी ने बाबर के कब्र में जा कर मस्तक झुकाए है |

आज भारत के अंदर इतनी मजबूत कर ली है जो आज एक इतना बड़ा वृक्ष बन चुका है अभी भी 20-25 पर्सेंट हिंदू वोट देते हैंऔर उनकी महत्वाकांक्ष एक ही है कि भारत मां के अंदर इतनी ज्यादा अपनी जड़े फैला दें कि इस जख्मी करके हम छोड़ दें |

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