बैक लूट में शामिल थे नेहरु - गाँधी परिवार

Sidheswar
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देश के आज़ादी होते ही बैंक लूट में शामिल थी ये 150 साल  पुरानी पार्टी ,ये सिलसिला आज भी है ,इन  बातो को जिक्र करना बहुत जरुरी है की 2014 के बाद किसी ने कर्ज नही लिया | बैंको में ये सिलसिला 2004 से2014तक बैंको में लूट चलता रहा जब कांग्रेस सत्ता में थी |मोदी आते ही सारा खेल ख़त्म हो गया |

बैंकों को लूटकर भागने वाले भगोड़े की लिस्ट 
१. विजय माल्या

२. मेहुल चौकसी

३. नीरव मोदी

४. निशांत मोदी

५. पुष्पेश पद्य

६. आशीष जोबनपुत्र

७. सनी कालरा

८. आरती हैजा

९. संजय कालरा

१०. वर्षा कालरा

११. सुधीर कालरा

१२. जादिन मेहता

१३. उमेश पतले

१४. कमलेश पतला

१५. नीलेश परिहो

१६. विनय मित्तल

१७. एकवचन जाली

१८.चेतन जयंतीलाल दारा

१९. नितिन जयंतीलाल दारा

२०. दीप्तिबन चेतन

२१. साविया सेठा

२२. राजीव गोयल

२३. अलका गोयल

२४. ललित मोदी

२५. रितेश जैनी

२६. हितेश एन पटेल

२७. मयूरीबेहन पटेल

२८. आशीष सुरेशबाई

कुल डकैती: 10,000,000,000,000/- (दस ट्रिलियन रुपये)


ये ऐसे नाम है जिसने हजारो करोडो की लूट मार की और चलता बने |मै यही पूछना चाहता हूँ की इनमे से कितने लोग 

आरएसएस ,बजरंग दल ,श्री राम सेना ,हिन्दू विजिलेंस फोरम ,इनमें से कोई भी बीजेपी के थे ,इनमें से कोई भी विश्व हिंदू परिषद थे क्या |

कांग्रेस की दलाली 

देश को  अगर बचाना है तो देशद्रोहियों का पर्दाफाश करना होगा। 

जिस हाल में आज पाकिस्तान हैं, एैसे ही हाल में छोड़ के गए थे राजीव गाँधी भारत को,

पर्दे के पीछे क्या खेल खेला गया कितना लूटा गया ये तो अब पता चल रहा है उस समय 

40 करोड़ के लिए सोना गिरवी रखा था| जबकि 64 करोड़ की दलाली तो सिर्फ बोफोर्स में खाई गयी थी|

काँग्रेस के शासनकाल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमें अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था। ये सभी क्या भुला दिया गया ओ भी इतनी आसानी से कांगेस से किस तरह लूटा इसका एक उदाहण मात्र है ऐसे ऐसे कई घटना का अंजाम दिया गया था जिसे आज लोग अनजान है |ये स्थिति थी भारतीय इकॉनॉमी की।जब अपना देश का सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़े इससे बड़ा  दुर्भाग्य क्या हो सकता है | 

राजीव गाँधी के शासनकाल में देश की तिजोरी खाली हो चुकी थी। और तभी प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे के आतंकियों ने कर दी थी| उसके बाद चन्द्रशेखर प्रधानमंत्री बने तिजोरी खली देख घबरा गए थे पुरे देश में निराशा का माहौल था |न रोजगार था न उद्योग धंधे जो भी कोई बिजनेस डालना चाहता था उसे NOC लेने में ही चप्पल घिस जाते थे |

दूसरी तरफ देश में मंडल और कमंडल की लड़ाई छेड़ी हुई थी

1980 से 1990 के दशक तक देश में काँग्रेस ने अर्थव्यवस्था को ख़त्म कर दिया था | उसी दौरान बोफोर्स तोपों में दलाली का मामला सामने आय था |



उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया,हालात ये हो गए थे कि देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था।तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से, भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखा था |
 भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना घटी थी | RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुँचाना था। ये वो दौर था जब मोबाइल तो होते नहीं थे और लैंड लाइन भी सीमित मात्रा में हुआ करती थी।

नयी दिल्ली स्थित RBI का इतना बुरा हाल था की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर एक वैन द्वारा पहुँचाया जाना था। वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था, खैर बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुँचा और ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये कर्ज़ दिये।
ये सभी देश के जनमानस को दुखी कर देने वाला घटना थी शर्मसार करने वाली ये घटना होने के बावजूद किस बेशर्मी से कांग्रेस कहती है की मोदी देश की अर्थ व्यवस्था चौपट कर दिया| गाँधी परिवार की वजह से ही देश का 40 करोड़ के लिए देश का सोना गिरवी रखना पड़ा था| कांग्रेस पहले अपना करतूतों को तो देखे |




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