भारत और उनके वामपंथ इतिहासकार

Sidheswar
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 भारत स्वतंत्र होने के बाद किस तरह वामपंथ नेहरु ने किस तरह भारत के विरासत इतिहास को कुचला गया और किस तरह वामी इतिहास करो को खूब बढ़ावा दिया गया ,यहाँ तक की राष्ट्रवादी और भारतीय इतिहासकरो जो सत्य और राष्ट्रवादी विचारधारा रखने वाले किसी भी इतिहासकरो को नेहरु सरकार ने शिक्षा प्रणाली से दूर रखा गया ,जो इतिहासकर कांग्रेस और नेहरु के अनुरूप नही थे वैसे पत्रकारों को सरकार ने दूर रखना शुरू कर दिया ,

हमारे देश के शानदार इतिहासकार र .सी .मजुमदार ,जादूनाथ सरकार और सी.वी. वैद्य जैसे जाने माने इतिहासकारों को सरकार ने कोई उचित स्थान नही दिया , ऐसे सभी इतिहासकारों को व्यवस्था से दरकिनार कर दिया |

वही दूसरी और झूठे और फरेब के बुनियाद पर बने वामपंथी पत्रकार समाजवादी और मार्क्सवादी के दुहाई देने वाले इतिहासकार जो पिछले 70 सालो से झूठ के अलावे सच कभी देश के सामने परोसा ही नही ,इन इतिहासकारों ने देश के सांस्कृतिक और सभ्यता को नेहरु सरकार से मिलकर किस प्रकार नष्ट करने की कोशिस किया गया , इरफान हबीब ,रोमिला थापर और त्रिपाठी जैसे वामी इतिहासकारों ने देश में 70 सालो से ऐसे जहर बोया है ,



पहले शिक्षामंत्री 

भारत के पहले शिक्षा मंत्री जो की भारत के थे भी नही ,और न ही ओ कभी भारत को अपना माना था ,अब्दुल कलाम आजाद एक ऐसे और पहला शिक्षा मंत्री थे जिन्होंने कभी स्कूल का मुहं तक नही देखा था ,मदरसा में पढ़ने वाले कलाम एक अनपढ़ शिक्षा मंत्री थे ,एक ऐसा शिक्षा न देश को समझा न ही यहाँ की सभ्यता संस्कृति को जानता था ,ऐसे शिक्षा मंत्री नेहरु के महेरबानी से सालो तक पद पर बना रहा ,अब्दुल कलाम आजाद ऐसे शिक्षा मंत्री थे जो खिलाफत को समर्थन करने वाले और बाबर के वंश को खुलकर पक्ष लेने वाले शिक्षा मंत्री थे ,सोचनेवाली बात ये है की ये किस हद तक देश के इतिहास को नष्ट किया होगा ,

इन इतिहासकारों को न तो संस्कृत आती थी और न ही फारसी और अरबी जबकि हमारा इतिहास 800 से अधिक साहित्य सिर्फ संस्कृत में ही लिखा पढ़ा जाता था ,बाद में फारसी और अरबी में इसे अनुवाद किया गया गया ,इसके वावजूद ये महान इतिहासकर थे, ऐसे लोगो को नेहरु ने इतिहास लिखने की जिम्मेदारी दिया गया था ,ऐसे लोग हमारे शिक्षा मंत्री बने और सालो तक रहे ,ये बताने की आवश्यकता नही की ये देश की शिक्षा प्रणाली को किस तरह से विकृत किया होगा ,

65 सालो से विकृत इतिहास 

01.  गोमांस परोसा जाना वैदिक काल में अतिथियों  को  सम्मान सूचक माना जाता था। (कक्षा 6-प्राचीन भारत, 

पृष्ठ 35, लेखिका-रोमिला थापर)

02. महमूद गजनवी  हिन्दू मंदिरों की मूर्तियों को तोड़कर ही  वह धार्मिक नेता बन गया था |

(कक्षा 7-मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 28)

03. 1857 का स्वतंत्रता संग्राम एक सैनिक विद्रोह था। ""जबकि यह कोई सैनिक विद्रोह था ही नही |""

(कक्षा 8-सामाजिक विज्ञान भाग-1)

04. महावीर 12 वर्षों तक जहां-जहाँ भटकते रहे। 12 वर्ष की लम्बी यात्रा के दौरान भी  उन्होंने एक बार भी अपने वस्त्र नहीं बदले। 42 वर्ष की आयु में उन्होंने वस्त्र का एकदम त्याग कर दिया था | 

(कक्षा 11, प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)

05.  वैसे तीर्थंकर जो अधिकतर मध्य गंगा के मैदान में उत्पन्न हुए थे , जिन्होंने कभी  बिहार का  निर्वाण प्राप्त किया था , ये  मिथक कथा जैन सम्प्रदाय की प्राचीनता सिद्ध करने के लिए गढ़ ली गईथी | (कक्षा 11-प्राचीन भारत,

पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)

06. जाटों ने गरीब हो या आमिर , जागीरदार हो या किसान, हिन्दू हो या मुसलमान सबको लूटा। (कक्षा 12-आधुनिक भारत,

पृष्ठ 18-19, विपिन चन्द्र)

07.राजा रणजीत सिंह अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैरों को  धूल अपनी लम्बी सफेद दाढ़ी से झाड़ता था। (कक्षा 12 -पृष्ठ 20, विपिन चन्द्र)

08. आर्य समाज ने हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियों, सिखों और ईसाइयों के बीच पनप रही राष्ट्रीय एकता को भंग करने का प्रयास किया। (कक्षा 12-आधुनिक भारत,

पृष्ठ 183, लेखक-विपिन चन्द्र)

09. तिलक, अरविन्द घोष, विपिनचन्द्र पाल और लाला लाजपतराय जैसे नेता उग्रवादी तथा आतंकवादी थे | (कक्षा 12-आधुनिक भारत-विपिन चन्द्र, पृष्ठ 208)

10. 400 वर्ष ईसा पूर्व अयोध्या का कोई अस्तित्व नहीं था। महाभारत और रामायण कल्पित महाकाव्य हैं। (कक्षा 11, पृष्ठ 107, मध्यकालीन इतिहास, आर.एस. शर्मा)

11. वीर पृथ्वीराज चौहान मैदान छोड़कर भाग गया और गद्दार जयचन्द गोरी के खिलाफ युद्धभूमि में लड़ते हुए मारा गया।

(कक्षा 11, मध्यकालीन भारत,प्रो. सतीश चन्द्र)

12. औरंगजेब जिन्दा पीर थे।

(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 316,लेखक-प्रो. सतीश चन्द्र)

13. राम और कृष्ण का कोई अस्तित्व ही नहीं था। वे केवल काल्पनिक कहानियां हैं।

(मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 245,रोमिला थापर)

वर्तमान और भविष्य के खतरे 

ये सभी आपतिजनक बाते एन.सी.आर.टी. की किताबो में है जो बच्चो को स्कूलों में पिछले 70 सालो से पढ़ाया जाता रहा है ,पर यही वामी इतिहासकार रोमिला थापर और इरफ़ान हबीब ने मुसलमानों के द्वारा धर्म के आधार पर हिन्दुओ के ऊपर किये गया भयानक अत्याचरो को लेखन से गायब कर दिया |

इन इतिहासकारों ने नकली धर्मनिरपेक्षवादी और हिंसक मानसिकता वाले समाज पर जानबूझकर पर्दा डाला रहा ,सदियों से चली आ रही भयानक अत्याचारों को गंगा जमुना सास्कृत ,अनेकता में एकता और भाई भाई बताकर हमारे नए नए पीढ़ी को धोखा दिया और अंधकार में रखा गया और आज में ये इसी रफ़्तार में चलता आ रहा है |

भविष्य में इसका परिणाम बहुत खतरनाक और भयानक होने वाला है ,क्योकि  नयी पीढ़ी को मालूम ही नही मुसलमानों की मानसिकता  क्नया है | न जानने के कारण ही असावधान रहेगी और खतरे में पड़ जायेगी. सोचने का विषय है कि आखिर किसके दबाव में सत्य को छिपाया अथवा तोड़ मरोड़ कर पेश किया जा रहा है |

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