स्वतंत्र भारत के मजहबी जमीनदार : वक़्त बोर्ड

Sidheswar
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वक़्त बोर्ड की स्थापना 

1913 में अंग्रेजो ने वक़्त बोर्ड की सम्पतियो के लिए मुस्लिम वक़्त अधिनियम को लागु किया था | उसके बाद 1923 में कुछ बदलाव के साथ फिर से लागु किया गया बाद में आज़ादी के बाद  वक्फ बोर्ड की स्थापना तत्कालीन प्रधानमंत्री  जवाहर लाल नेहरु ने मुस्लिम तुष्टिकरण के लिया 1954 में किया गया था , जबकि यही नेहरु ने हिन्दूओ के लिए बनाए गए किसी भी बोर्ड के लिए कभी भी समर्थन नही कि और  हमेशा हिन्दुओ की हितो का विरोध किया | संविधान के विपरीत नेहरु ने वक़्त बोर्ड की मान्यता दे दी गई | 1954 के बाद  1995 में कांग्रेस सरकार ने संशोधन कर वक़्त में कुछ बदलाव किया गया और सभी राज्यों और केन्द्रशासित राज्यों में वक़्त बोर्ड गठन की अनुमति दी गई |  आखिरी सशोधन कांग्रेस सरकार द्वारा 2013 में किया गया और उसे संविधान के अनदेखी कर असीमित अधिकार से दिया गया | 

वक़्त बोर्ड और उदेश्य 

मुस्लिम मान्यता के अनुसार कोई मुस्लिम अल्लाह के नाम से अपनी सम्पति को दान कर दे उसे वक़्त के सम्पति माना जायेगा ,उसका देख रेख वक़्त बोर्ड करेगी | जिसका उदेश्य मुस्लिम समाज को विकास  करना होता है ,पर यहाँ कुछ अलग ही खेल खेला गया | 2013 के संशोधन के अनुसार वक़्त बोर्ड किसी भी सम्पति  सरकारी हो या फिर निजी  किसी भी सम्पति को वक़्त की सम्पति घोषित कर सकता है ,उदहारण के लिए  की मुकेश अम्बानी का घर,बिहार,बंगाल,कर्नाटक ,तमिलनाडु और केरला के कुछ गांवों में कब्ज़ा तथा देश के पार्लियामेंट ,दिल्ली के इन्द्रा गांधी हवाई  अड्डा को भी वक़्त अपनी सम्पति का दावा करता है | इसका मूल उदेश्य देश को कब्ज़ा कर इस्लामिक मुल्क बनाना ही है |

मजे की बात है की किसी भी इस्लामिक देश में वक़्त बोर्ड नाम का कोई चीज है नही ,फिर भी हमारे ही देश के ही नेताओ ने ही अपने ही देश को कब्र खोदने का प्रण ले लिया है |

वक़्त बोर्ड की सम्पति

हमारे देश के सभी राज्य और केन्द्र्सशासित राज्यों में इसकी कुलसम्पति 9 .5 लाख एकड़ है जो पाकिस्तान से भी जायदा होता है ,दुनिया के 25 ऐसा देश के कुल सम्पति के बराबर है ,देश के सेना और रेलवे के बाद सबसे ज्यदा सम्पति का मालिक वक़्त बोर्ड है |

मुतवल्ली और ट्रिब्यूनल

ट्रिब्यूनल का गठन किसी भी विवाद को निपटारा के लिया किया जाता है ,जो की राज्य सरकार इसका गठन करता है ,इसमें तीन अधिकारी होते है मजे के बात ये है की तीनो मुस्लिम समुदाई के होने चाहिये |ट्रिब्यूनल में लिया गया फैसला मान्य होता है और बड़ी बात ये है की इसे किसी भी कोर्ट में अपील नही किया जा सकता |

देश में वक़्त बोर्ड 

देश में एक सेन्ट्रल वक़्त कोंसिल है और 32 स्टेट बोर्ड है ,हर राज्य में अलग अलग वक़्त बोर्ड होते है ,जबकि केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री सेंट्रल वक्फ काउंसिल का पदेन अध्यक्ष होता है।

वक़्त बोर्ड और उनके आने वाले खतरे 

2013 में कांग्रेस ने वक़्त एक्ट लागु कर हिन्दुओ और सनातन को ख़त्म करने के लिए साजिश कर चुके है .ये कितना बड़ा खतरा है ये आज भी हम अनजान है |

मुस्लिम परस्त कांग्रेस ने किस तरह हिन्दुओ की सम्पतियो को वक़्त सम्पति घोषित करने के लिए जो संशोधन किया गया ये इतना भयावह है की जो सम्पति हजारो सालो से जो लोग दादा परदादा का सम्पति सिर्फ कहने मात्र से ही वक़्त की सम्पति हो जाएगी |

इस एक्ट के अनुसार हर हिन्दू ये जान ले की उसकी कोठी ,मकान ,खेत जमींन ,जायदाद उसकी नही है इस कानून के अनुसार कभी भी वक़्त इस जमींन  पर दावा कर सकता है और डायरेक्ट डीएम को आदेश दे सकता है की आप से जमींन खाली करवाई जाय और आप कुछ भी नही कर सकते है | जहाँ आपकी सुनवाई होगी वहां भी मुस्लिम ही अधिकारी होगी सोचो फिर आगे क्या होगा सोच सकते हो ,

वक़्त बोर्ड एक्ट हिन्दुओ और भारत माता के साथ एक बहुत भयानक षडयंत्र है ,यह कानून हमारे संविधान का धजिया उड़ाती है और यह कांग्रेस के द्वारा बनाया गया यह कानून इस्लामिक राष्ट्र बनाने की एक क़ानूनी पहल है |यह सरिया से भी खतरनाक कानून परियामेंट जिहाद का एक नयाब उदहारण है |

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