झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (JMM ) : "जोहर "नही अब " अस्सलाम वालेकुम " JMM /कोंग्रेस की घोषना घुसपैठियों को 450 में गैस सिलेंडर..

Sidheswar
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झारखण्ड मुक्ति मोर्चा संस्थापक के रूप में बिनोद बिहारी महतो ,शिबू सोरेन और जसवीर मंडल का नाम बहुत सम्मान से लिया जाता है | बिनोद बिहारी महतो JMM के बहुत बड़े नेता थे | झारखण्ड मुक्ति मोर्चा मांझी,महतो और मंडल के एक संगठित रूप था,अलग झारखण्ड आन्दोलन के लिये बना यह पार्टी आज के समय में देखा जाय तो न कोई महतो बचा है और न कोई मंडल ,


झारखण्ड आन्दोलनकारी पार्टी कभी आदिवासी,पिछडो,दलितों की हितो की रक्षा करने की बात करनेवाली पार्टी आज न तो आज सनातन की बात करती है और सरना की,कहना गलत नही होगा की आज ये पार्टी मुस्लिम और मिशनरियों के संरक्षण में पल रही है अगर सोरेन सरकार में किसी को विकास हुआ है सिर्फ सोरेन परिवार और मिशनरिया | मिशनरियो को छुट दे दिया गया धर्म परिवर्तन करने के लिए  |


झारखण्ड के ग्रामीण आदिवासीयो को बहला फुसलाकर सनातन धर्म को बदनाम कर और पैसे,अनाज का लालच देकर खुले तौर से मिशनिरिया धर्म परिवर्तन में लगी है | हिन्दू त्योहारों में पत्थरबाजी आम होती जा रही है ,सोरेन सरकार में सनातन धर्म मानने वाले सुरक्षित नही रहे है |


आज से समय झारखण्ड ऐसी स्तिथि में पहुच गया है की पिछले पांच सालों में एक नौकरी भी नही दे पाई सोरेन सरकार सिर्फ लूट में मस्त है इनके सरकार के सहयोगियों के यहाँ मारे गये छापे करोडो की सम्पति के साथ साथ करोडो रूपये CASH,सोने चांदी का भंडार मिला | ये सरकार सिर्फ झारखण्ड को लुटने, आतिकियो ,घुसपैठियों की रखैल बन गई है |


झारखंड मुक्ति मोर्चा मुस्लिम तुष्टिकरण में मदहोश है अब चुनावी मंच भी जोहार से ज्यादा “ अस्सलाम वालेकुम सुनाई दे रहा है। पार्टी के टॉप नेता खुलेआम ये नारा लगा रहे हैं। खुलेआम आम नारापिचासो को कहा जा रहा है की वोट दो उसके बाद जो मर्जी है करो खुलेआम पत्थरबाजी का नैवता दिया जा रहा है |


झारखण्ड मुक्ति मोर्चा नारपिचासो पर समर्पित हो गई है तभी तो 15 प्रतिशत टिकाऊ वोट बैंक बन गये है | झारखण्ड के सीमावर्ती जिलो में डेमोग्राफी सरकार के सहयोग से बढाया जा रहा है ,बंगलादेशी और रोहिंगियो के लिए जमीन आवंटित कर उसे स्थाई रूप से बसाया जा रहा है इनलोगों के लिए सरकारी दतावेज धडल्ले से बनाया जा रहा है ,आदिवासी लडकियों को लव जिहाद में फसाकर उसे तीसरी चौथी बीबी बनाकर उसके सम्पतियो पर कब्ज़ा किया जा रहा है इतना सबकुछ होने के बाद भी अपने आप को आदिवसी कहने वाले हेम्मंत सोरेन चुप है |

 

कभी मांझी –महतो –मंडल की सरकार कहने वाली हेमंत सोरेन जमीनी हकीकत से दूर है जिसका वजह से महतो, मंडल और आदिवासियों का एक बड़ा हिस्सा झारखण्ड मुक्ति मोर्चा से मोह भंग हो चूका है |

 

झारखंड आंदोलन के साथ मुस्लिमों के संबंध को इसी बात से समझिए कि इस आंदोलन के दौरान सबसे बड़ी हिंसा संथाल परगना के चिरूडीह में हुई थी ,मुसलमानों ने कभी झारखण्ड आन्दोलन में साथ नही दिया, उस समय कांग्रेस झारखंड आंदोलनकारी को दमन करती थी, और मुसलमान कांग्रेस के साथ थे । ज़मीन का झगड़ा जगह जगह हो रहा था । बड़ी संख्या में मुसलमान गरीब  आदिवासिओ का जमीन हड़प लिया था |


चिरूडीह हिंसा में वारंट होने के कारण 21 जुलाई 2004 में शिबू सोरेन को मनमोहन कैबिनेट से निकाल दिया गया था, क्योंकि मनमोहन सरकार मुसलमानों को नाराज नहीं करना चाहती थी। शुरू सेही कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण में लिप्त थी ये शिलसिला आज भी है |


चिरूडीह में आदिवासियों की मुख्य शिकायत आज भी यही है कि उनकी ज़मीन मुसलमानी द्वारा हड़प ली गई गई। आदिवासी लड़की से शादी करके ये काम होता था, अभी तक आदिवासियों का ये शिकायत है ,इस समस्या का कोई समाधान नही निकाला गया |


लोगो को जरुर याद होगा ये वही झारखण्ड मुक्ति मोर्चा है जिसने Cash For Vote में नाम आया था, जो शीर्ष नेता ने करोडो रूपये लेकर कभी कांग्रेस को केंद्र के सरकार बनाने में मदद किया था | ये उस समय की घटना है जब अलग झारखण्ड आन्दोलन चरम पर था | ये वही है पैसो के लिए किस तरह से झारखण्ड को गिरवी रख दिया था |


दरअसल झारखंड मुक्ति मोर्चा विभिन्न समुदायों और जातियों का समूह था। 1984 में जब जेएमएम बना तो आगे चलकर इसके तीन खूँटे बने। शिबू सोरेन, निर्मल महतो और सूरज मंडल। निर्मल दा पार्टी अध्यक्ष थे। यही माँझी-महतो-मंडल समीकरण था। यही जेएमएम की आत्मा थी । मुसलमान उस समय कांग्रेस के साथ थे, जिसका झारखंड आंदोलन से टकराव था। कांग्रेस सोरेन समेत सभी झारखंडी नेताओं को जेल भेज चुकी थी।


इस परिवार से बढ़कर कोई नेता अभी नही है , इस परिवार से कोई आगे बढ़ने की कोशिश करता भी है तो उसे चुप करवा दिया जाता या फिर उसके सर पर बारूद भर दिया जाता | ऐसा कई बड़े नेता के साथ हो चूका है , खुद अपने भाई को भी क्या हाल किया किसी से छुपा नही है | झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की स्थापना करने वाले में एक महतो और एक मंडल भी थे ,आज उनके बच्चे कहाँ है क्या कर रहे है ,किसी को पता नही , सबको ख़त्म कर ये पार्टी सिर्फ पारिवारिक तानासाह बन गई है  |


मांझी,महतो और मंडल समीकरण को तार तार तब हो गया जब JMM एक परिवार की पार्टी पर कब्ज़ा हो गया आज वही परिवार इस पार्टी का मालिक है ,उच्च पदों पर यही परिवार के है,ये परिवार किसी दुसरे को आगे नही होने देती अगर कोई ऐसा करने का कोशिश करता है तो  उसका जड़ ही काट दिया जाता | इसलिए झारखण्ड में इस परिवार से बढ़कर कोई बड़ा नही है |  


पार्टी के मुखिया खुद मंदिर जाने से ज्यदा चर्च  जाना ज्यदा अच्छा समझते है, ऐसा परतीत होता की कही ये धर्म परिवर्तन तो कर लिए है | ऐसा कई मुख्यमंत्रीयो के हो चुके है जब मरने के बाद चला है की धर्म परिवर्तन कर क्रिप्टो क्रिशचन बन गए है , झारखण्ड में भी ऐसा न हो गया हो ,बहर से कुछ और अन्दर कुछ और ही |


लेकिन 1990 में जेएमएम, कांग्रेस और आरजेडी के साथ आते ही ये माझी-महतो-मंडल समीकरण टूटने लगा। 15% एकजुट मुस्लिम जुटने के बाद जेएमएम ने पहले मंडल और फिर कुर्मी और कुशवाहा को छोड़ दिया। आज जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी में इन जातियों का कोई महत्वपूर्ण नेता नहीं है।


झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के गठबंधन कांग्रेस के जम्मू कश्मीर के नेता गुलाम अहमद मीर ने तो खुले तौर से घोसना कर दिया की हम घुसपैठियों और बंग्लादेसियो को 450  रूपये में गैस सिलेंडर देंगे मतलव साफ है की घर में चूल्हा जलाकर उसे रोटी की इंतजाम कर देना साथ ही बसाने की पूरी प्लान तैयार कर चुकी है | ये वही नेता है जो 16 साल के लड़की के साथ Sex  Sandal में पकड़ा गया था | अजीब बात ये है की झारखण्ड के धरती में आकर घोसना किया | ये है घुसपैठियों पोषण करने वाला |


अब मुसलमान ही जेएमएम-कांग्रेस-आरजेडी का सबसे भरोसेमंद वोट बैंक है। इसलिए इसके नेता मंच से जोहार से ज्यादा अस्सलाम वालेकुम बोल रहे हैं।

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