1962 की युद्ध और 200
सैनिको की बैमौत
बात करते है 1962 की चीन
और भारत का युद्ध जिसमे भारतीय सेना किस हाल में थी, चलिए चलते है उस समय के
वरिष्ठ पत्रकार और देश के प्रमुख पत्रकार मन मोहन शर्मा की जुबानी में जो अब भी
जीवित है, और अभी ओ दिल्ली में अपने परिवार के साथ रह रहे है | जिसने चीन युद्ध की
कवर किये थे |
पत्रकार मन मोहन शर्मा के
अनुसार बताते है की हमारे सेना काफी फटेहाल स्तिथि में थी | अस्त्र शस्त्र तो छोड़
दीजिये पहनने के लिए कपडे तक नही थे | हम युद्ध करने के कतई स्तिथि में नही थे |
शर्म की बात ये है की अम्बाला
से 200 सैनिको को एयर लिफ्ट कर उन्हे बोमडीला में एयर ड्राप कर दिया गया, जहाँ का
तापमान -40 डिग्री था | सैनिक सिर्फ सूती के कमीज और निकर पहन रखे थे | सोचिये इन
सैनिको का क्या हाल हुआ होगा ओ 200 सैनिक बेमौत मारे गए थे| क्या नेहरु को जरा सा
भी शर्म भी नही लगा था| और नेहरु पंचशील के समझौते में कबूतर उड़ा रहे थे |
1962 के युद्ध के बाद चीन
ने तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया और भारत के भीतर भी घुसता जा रहा था, तो उस समय के एक
लोकसभा संसद ने नेहरु से कहा था,की चीन भारत पर कब्ज़ा करता जा रहा है तो बेशर्मी
की हद तो देखिये नेहरु की,नेहरु ने कहा जहाँ चीन घुस आया है वहां घास का एक तिनका
तक नही उगता, तो उन्ही के संसद ओ केंद्रीय मंत्री महावीर त्यागी ने नेहरु से कहा
की मेरे भी सर में बाल नही उगते तो क्या मेरा भी सर कटवा दोगे|
नेहरूवादीओ ने नेहरु की
बचाव
हाल के दिनों में एक 1957
बैच के आई . एफ..एस ऑफिसर मुचकुंद दुबे जो टीवी डिबेट में आते रहते है, जो की एक
नेहरूवादी है जब एक डिबेट में शिवसेना के राज्यसभा के संसद संजय निरुपम ने सवाल
उठाया की बांग्लादेश से लगी सीमा जो आज तक खुली है,जिसके कारण घुसपैठियों प्रवेश
कालांतर में कर गए है, एक सरकारी आकडो के अनुसार 2 करोड़ से अधिक है और गैर सरकारी
आकड़ो के अनुसार 5 करोड़ से अधिक है जो एक काल चक्र में आ गए है, और कई दलों के एक
वोट बैंक बन गए है | जबकि YOUTUBE पर डॉ जाकिर नायक कहते है की भारत में हिदुओ की
आबादी सिर्फ 60 प्रतिशत ही रह गई है | इस पर दुबे जी कहते है की अगर सीमा पर बाड लगा
दिया जाय तो दुनिया में भारत की छवि ख़राब होगी | अब जरा सोचो दुबे जी सोच को, इस
पर संजय निरुपम ने पूछा की दुबे जी आप भारत के विदेश सचिव थे या बांग्लादेश के, उस
समय दुबे जी बांग्लादेश के हाई कमिश्नर थे | इस पर दुबे जी का चुपी देखने लाइक था
| दुबे जी कसूर कुछ नही था सिर्फ नेहरु के निति को बखान करना ही एक मात्र कारण था
| सोचने वाली बात ये है की इस तरह की सोच रखने वाली निति ने देश को कितना नुकसान
किया होगा, जो आज देखा जा सकता है |
अभी हाल में ही पक्षिम
बंगाल के मंत्री ने कहा था, पक्षिम बंगाल में 33 प्रतिशत हो गए है बहुत जल्द पुरे
देश में बहुमत में होंगे | याद होगा 1951 में पक्षिम बंगाल के आबादी 20 प्रतिशत
थी, 2011 में बढ़कर 27 प्रतिशत और आज करीब 35 प्रतिशत हो गयी है | अभी करीब 5 करोड़
बंगलादेशी और रोहिन्गीय घुसपैठियों ने भारत के चुनावी राजनीती और अर्थ निति को
बर्बाद कर के रख दिया है | साथ ही हिन्दुओ की खाल खीचने की पूरी तैयारी कर चूका
है,पर हिन्दू भी कान में तेल डालकर अभी भी सो रहा,और अपनी पारी का इंतजार कर रहा
है | कांग्रेस ने सीमा को खुला छोडी तो वामी ने उसे बुला कर बसा दिया अब तो हद ये
हो गई की ममता बनर्जी यहाँ तक केंद्र को धमकी दी की अगर किसी भी घुसपैठियों को
भगाने का प्रयास किया जायगा तो खून की नदिया बह जायेगा | आज के दिन ममता बनर्जी घुसपैठियों
की नेत्री बन के उभर गई है, अब बात यहाँ तक पहुच गई है की इंडी गठबंधन ने ममता को
नया नेता मानना शुरू कर दिया है ताकि गैर बीजेपी पार्टियों को मुस्लिम वोट को कमी
न हो सके |
छत्रपति शिवा जी और महाराणा प्रताप
आज़ादी के बाद इतिहास लेखन
का काम नेहरु ने वामपंथियों को सोप दिया और कहा गया की छत्रपति शिवा जी और महाराणा
प्रताप का गुणगान नही लिखा जाय | अन्यथा इससे देश के हिंदुत्व को बढ़ावा मिल जायेगा
| नतीजन ये हुआ की हमारी आजाद पीढ़ी को कोई प्ररेणा की कोई स्रोत नही मिला | उल्टा
वामपंथियों ने मध्यकालीन इतिहास लिख डाला जैसा नेहरु चाहते थे | जिसमे शिवा जी को
लूटेरा और महाराणा प्रताप को भगोड़ा चित्रित किया गया |
नेहरु परिवार के रहते
इजराइल के साथ राजनयिक रिश्ता नही बना
गाँधी नेहरु परिवार के प्रधानमंत्री ने कभी इजराइल के साथ राजनयिक रिश्ता नही बनाये | ऐसा जानबूझकर किया गया क्योकि मुस्लिम तुस्टीकरण ने ऐसा न होने दिया | जबकि 1971 के युद्ध में इजराइल ने बहुत बड़ी मदद की थी | गैर नेहरु-गाँधी परिवार के प्रधानमंत्री पी.वी नरसिम्हा राव ने 1992 में राजनयिक सम्बन्ध स्थापित किये | बताते चले की कारगिल युद्ध में अगर इजराइल मदद नही करते तो हम युद्ध हार जाते |
1947 तक भारत को इस्लामिक
राष्ट्र बनाने की घोसना
भारत की तरह इजराइल भी
अंतरास्ट्रीय इस्लामिक जिहाद से जूझ रहा है, टीवी में मोलानाओ को सुना होगा की
1947 तक हम भारत को इस्लामिक देश बना देंगे,ये मौलाना कोई हवा में बात नही कर रहा
था, ये लोग रात दिन लगे हुवे है और हम अनजान गंगा यमुना तहजीब में लगे पड़े है हमने
कुछ भी नही सिखा इतिहास से, यही कथन पी.एफ .ई जो अभी भारत में प्रतिबंधित है उसने
भी यही बात कही 1947 तक भारत को हथियार के बाल पर इस्लामिक राष्ट्र बना देंगे | पी.एफ
.ई ने तो एक इस्लामिक दस्ता भी बना चुके है, और ओ कहता है की जिस दिन हमारे साथ 10
प्रतिशत भी हथियार उठा लेंगे तो हम बहुत असानी से इस्लामिक मुल्क बना लेंगे | जब
इस तरह से बाते हो तो भारत और इजराइल की दोस्ती कितनी जरुरी है समझा जा सकता है |
सेना के मांग ठुकराना
नेहरु-गाँधी परिवार के
प्रधानमंत्रीओ की तरह मनमोहन सिंह सरकार ने भी सेना को पैसा देने से मना कर दिया
था | घटना 1962 युद्ध के पहले की जब सेना रक्षा मत्रालय ने वित् मंत्रालय से एक
करोड़ मांग की थी उस समय सेना के पास न्यूनतम जरुरत की चीज भी नही थी पर पच्शील के
नशे में मगन नेहरु ने वित् मंत्रालय को पैसे देने के लिएमना कर दिया था |
दूसरी घटना की बात किया
जाय तो मनमोहन सरकार के कार्यकाल के दौरान जब चीन से भारतीय सीमा पर खतरे को देखते
हुए सेना के विस्तार के लिए 65 हज़ार करोड़ रूपये एक योजना के तहत वित् मंत्रालय को
भेजा था | तो वित् मंत्रालय ने बेशर्मी की हद पर करते हुवे उलटे ये सवाल कर दिया
की क्या चीन से खतरा दो साल बाद भी बना रहेगा | यानि पैसा नही दिया गया |
‘’’’’’’ये थी कुछ झलक
नेहरु-गाँधी परिवार और कांग्रेस के देश के प्रति सोच ‘’’