जम्मू -कश्मीर : अनुच्छेद 370 , नेहरु के दोहरे चरित्र ने करवाया डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हत्या ...

Sidheswar
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भारत के स्वतंत्रता के साथ ही पाकिस्तान का निर्माण हुआ | भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के अन्तर्गत पाकिस्तान धर्म के नाम पर एक इस्लामिक देश बना , जिसमे जम्मू-कश्मीर तथा देश के अन्य राजाओ को निर्णय के किये एक अधिकार प्राप्त हुआ, जो एक उनके लिए विशेषाधिकार था । अगर कोई राजा चाहे तो भारत या फिर पाकिस्तान में विलय कर सकता है | जिसका उपयोग कर विलय-पत्र (Instrument of Accession) पर हस्ताक्षर करते ही जम्मू-कश्मीर भारत का अंग हो सकता है | यही विलय-पत्र देश के सारे राजाओ के लिए किया गया |

 

इसके बावजूद नेहरू ने अपने 'दीनी भाई ' शेख के लिए दिल्ली समझौता (Delhi Accord) बैठकर वह भी मौखिक रूप में समझौता कर इस्लामिक कट्टरवाद, अलगाववाद और जिहाद के प्रचार प्रसार को बढ़ावा देने के लिए अनुच्छेद 370 जैसे प्रावधानों को अपने बहुमत के बल पर संसद के अन्दर प्रस्ताव पारित कर लिया गया | साथ ही बड़ी ताम झाम से लागु भी कर दिया गया, और नाजायज तरीके से नेहरु ने इसे बड़ी सफलता पूर्वक तुस्टीकरण के लिए अपना खेल कर दिया |

 

 आलम ये था की डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और एन.सी. चटर्जी ने इसपर बड़ी आपत्ति की इस पर नेहरुजी को बौखला कर कहा कि – इस तरह की शक्ति संविधान में निहित नहीं है,  यानि कोई जगह नही है ये संविधान के खिलाफ है  और इस तरह की शक्ति लोगों की इच्छाओं में निहित नही है और इसलिए जब लोग ये नही चाहते है ,हमें सभी लोगो के इच्छाओं का सम्मान करना चाहिए।" पर नेहरु किसी की एक न सुने और देश में एक नाजायज धारा 370 थोप दिया गया |

 शेख अब्दुल्ला को निर्विरोध चुने जाना 

नेहरुजी के लिए जम्मू-कश्मीर के लोग नही यानि सिर्फ शेख अब्दुल्ला थे,  जम्मू कश्मीर मुस्लिम बहुल था | वास्तव में मुस्लिम बहुल क्षेत्र कश्मीर की आड़ में जम्मू-कश्मीर राज्य को एक मुस्लिम राज्य की परिकल्पना को साकार करना चाह रहे थे। वह एक buffer जोन बनाना चाह रहे थे भारत और पाकिस्तान के बिच ताकि आगे चलकर भारत पर कब्ज़ा कर एक इस्लामिक देश बनाया जा सके | उस समय 75 लोगों की संविधान सभा बनी ध्यान देनी बात है की संविधान सभा विधानसभा नही, अनुच्छेद 370 लागु होने से जम्मू कश्मीर के लिए अलग संविधान और अलग विधान तय कर दिया गया | इसलिए जम्मू कश्मीर में उस समय मुख्यमंत्री नही प्रधानमंत्री होता था और राज्यपाल नही वहां राष्ट्रपति हुआ करता था | संविधान सभा के लिए 72 लोगो को निर्विरोध चुन लिये गए थे। पर शेख अब्दुल्ला चुनाव का सामना करने की लिए तैयार नही थे और न ही हिम्मत थी और न ही वे जम्मू और लद्दाख के कोई बड़े नेता थे। शेख अब्दुल्ला उस राज्य के मात्र एक अदना सा क्षेत्र के नेता थे। नेहरू ने अब्दुला को खुश करने के लिए  विपक्ष के सारे नामांकन रद्द कर दिए गए। और  75 में से  75 MLA को निर्विरोध संविधान सभा के लिए चुन लिए गए | जो अपनी मनमर्जी से अपने वांछित उद्देश्यों की पूर्ति कर सकते थे।

 

इतना सब कुछ होने के बाद जब डॉ . श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने नेहरुजी से कहा कि - क्या आप बहुमत के द्वारा सत्य को दबा सकते हैं  तो अब हमारे पास जनता के पास जाने के अलावा और कोई चारा नहीं है क्योंकि संसदीय लोकतंत्र के अन्दर नेहरुजी के अनुसार 'विशेष' लोगों की इच्छा ही महत्वपूर्ण थी।  यानि शेख अब्दुल्ला की इच्छा को संसद में अपने बहुमत के बल पर क्रूरतापूर्वक संविधान, सत्य और देश की भावनाओं का गला घोंट दिया गया । और इस तरह से संविधान को जन्म लेते ही हत्या कर दिया गया | आज संविधान की दुहाई देने वाले भूल जाते है इस नेहरु के काले कारनामे देश और संविधान को अपने पैर के निचे रखते थे |

 अनुच्छेद 370   की आदेश 

370 एक अस्थायी प्रावधान था । नेहरु ने बड़ी सफाई से कहा भी था की समय के साथ अनुच्छेद 370 हटा दिए जायेंगे पर 70 सालो तक कोई समय आया ही नही, और न ही इस पर कोई बहस ही छेड़ा गया |यह समस्या तब शुरु हुई जब उसकी व्याख्या दिल्ली समझौते के द्वारा 1952 में प्रारंभ की गई, और इसे पूरा करने के लिए संवैधानिक आदेश 1954 जारी किया गया |

 

राष्ट्रपति महोदय के द्वारा अनुच्छेद 370-1(बी) के अन्तर्गत जारी किया गया | ये निश्चित हुई अर्थात राज्य सरकार की सहमति से आदेश को लागू किया गया | साथ ही सवैधानिक आदेश (C.O 1954) में कहा गया है कि अनुच्छेद 35 के पश्चात  अनुच्छेद जोड़े, अर्थात - 35ए को भी जोड़ा गया |  और इस अनुच्छेद में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर की विधानसभा स्थायी निवासी की परिभाषा निश्चित कर दिया गया उनके विशेष अधिकार सुनिश्चित कर तथा शेष लोगों के नागरिक अधिकारों की सीमित कर दिया गया |

 हिन्दुओ की विशेष अधिकार खत्म करना 

नागरिको को विशेष अधिकार दे दिया गया , अब विशेष अधिकार ऐसा था की देश के किसी भी राज्य में इस तरह का अधिकार नही था जैसे की जम्मू कश्मीर के नागरिको के लिए देश में किसी भी भूभाग में जाकर रोजी रोटी के साथ बस सकते है जमीन खरीद सकते वही कही भी आप हमेशा के लिए बस सकते है | देश के बाकि लोगो के लिए जम्मू कश्मीर जाने के लिए एक परमिट की व्यवस्था कर दिया गया  जम्मू कश्मीर जाने के लिए एक तरह से पासपोर्ट की व्यवस्था कर दिया गया | वहां के हिन्दुओ के लिए सारे अधिकार छीन लिए गए | विभाजन का दंज झेलकर आये हिन्दुओ के लिए नागरिकता समाप्त कर दिया गया |


जम्मू कश्मीर में हिन्दुओ का अधिकार सिमित कर उसे वोटिंग राईट भी छीन लिया गया | राज्य सरकार के नोकरियो में हिन्दू सिर्फ सफाई का कार्य ही कर सकते थे चाहे आप कितना भी पढ़ लिख लो | ओ सिर्फ भंगी का ही कम कर सकते थे | देश के साथ छाला गया इससे बड़ा देश के साथ गद्दारी क्या हो सकती है |

 

डॉ . श्यामा प्रसाद मुखर्जी की हत्या 

जब डॉ . श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसका विरोध किया और कहा की एक देश, एक संविधान और एक विधान ही चलेगा | एक देश दो संविधान और दो विधान नही चलेगा , नेहरु के विरोध में अपने समर्थको के साथ जम्मू कश्मीर जाने लगे तो उसे बिच में आरेस्ट कर लिया गया और डॉ साहब को अनजान जगह में ले जाकर हत्या कर दिया गया | ये काली करतूते कोई और नही नेहरू के देख रेख में किया गया |


जम्मू कश्मीर के अन्दर भारतीय संविधान के 130 अनुच्छेद लागू नहीं किया गया |  लेकिन जो 262 अनुच्छेद लागू है, उनमें भी 100 अनुच्छेद में महत्वपूर्ण परिवर्तन कर दिए गए । कहा जाय तो अनुच्छेद 370 की आड़ में जो राजनीतिक धोखाधड़ी हुई है व जिसका संवैधानिक दुरुपयोग कर भेदभाव पैदा कर भारतीय संस्थान व राज्यतंत्र को कमजोर कर इस्लामिक साम्राज्यवाद विस्तार को बढ़ावा दिया गया, और बहुत योजना पूर्वक हिन्दुओ को सफाया किया गया |

नेहरु जो देश और हिन्दुओ के साथ गद्दारी और जो नमकहरामी किया क्या देश कभी भूल सकता है |

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