सीरिया : तख्तापलट, प्रगतिशील देश के कबीलाई प्रतिकार ....

Sidheswar
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आज जो सीरिया में हो रहा है,कुछ भी नया नही है 1400 सालो से कबीलाई समाज में होता आ रहा हो, हर काबिले में अपना एक नियम और शर्त होते है | जिसको जानना हो ओ जरुर दो घंटे की डॉक्युमेंट्री "इनसाइड सीरिया डेडली डायनेस्टी" जरुर देखे जिसको भी कोई गलतफेमी सब निकल जायेगा | चाहे जितना भी कोशिश कर लो इस कबीलाई समाज को कभी संतुष्ट नही कर सकते |

 

चाहे दुनिया का कोई भी व्यक्ति हो समाज हो और कोई सरकार ही क्यों न, चाहे वह मुस्लिम हो, सुन्नी हो, शिया हो, कुर्द हो, हिन्दू हो या ईसाई हो, कोई भी इस कबीलाई समाज को विश्वास, भरोसा नही जीत सकते और जो भी इस कबीलाई समाज को भरोसा जीतने का ख्वाब देख रहा है वो दुनिया क्या धरती का सबसे बड़ा मुर्ख है |

 

हर एक कबीलाई समाज के अंदर एक दारुल उलूम का ख्वाब होता ही है यानी विश्व में मात्र कबीलाई समाज  का साम्राज्य स्थापना का सपना पलता ही रहता है, उन्हे  धन दौलत, सुख, शांति, समृद्धि, कार, बंगला, पढाई, विज्ञान, प्रगति कोई वास्ता नही होता उन्हें तो 8 वी,9 वी सदी की कबीलाई जिन्दगी और इन्हें तो शरिया, शरियत, हलाल ही चाहिए |

 

 हर एक कबीलाई के दिमाग में जिहाद की सुलेमानी कीड़ा कुलबुलाता रहता ही है, इस कीड़े की शांति के लिए अमेरिका और इजरायल जैसे करवाई से ही शांत रहते है, ये एक जोम्ब्बी की तरह होते है एक मरो कई खड़े हो जाते, इन्हें स्कड, पेट्रियाट मिसाइलो से ही शांत किया जा सकता है | मिडिल ईस्ट का हर एक एक  तानाशाह पुरे अरब जगत में हीरो बनने का ख्वाब पालता है और इजरायल पर हमले का प्लान भी बनाता है  और अपने को होरो साबित करने के लिए मर मिटता ये कभी भी शांति से रह ही नही सकते ये जहाँ खुद है अपनों से ही लड़ते और जहाँ गैर है वहां तो कबीलाई साम्राज्य के लिए लड़ते | इजरायल इनकी भूख को बहुत अच्छे तरह से समझ कर शांत कर देता है यही इन कबीलाई का  सही इलाज है |


रूस और अमेरिका कही न कही इस बात पर जरुर समझते होगे की इन्हें किस तरह से शांत किया जा सकता है, सबसे बड़ी बात ये है की इन कबीलाई इलाका में क्रूड तेल की अपार भंडार है, लेकिन ये जन्मजात दिमाग से पैदल इन्हें समझ तो है नही रूस और अमेरिका इन कबीलाई को आपस में लड़ाकर, एक देश से अमेरिका और दूसरा से रूस क्रूड और नेचुरल गैस लेते है, इन्हें आपस में लड़ाकर इनकी आबादी भी समान रहती है और साथ ही  अमेरिका और रूस की अपने अपने लड़ाकू विमान का टेस्ट भी हो जाता है |


1950 के दशक में सीरिया बेहद खुबसुरत, बेहद प्रगतिशील देश था, सेना के जनरल हाफिज अल असद ने सिरिया का तख्ता पलट करके सत्ता हथिया लिया था हलाकि उस वक्त दूसरा जनरल भी सत्ता में था | हाफिज अल असद ने सीरिया की तरक्की पहले स्थान में रखा, तरक्की के रास्ते में लाकर खड़ा कर दिया | लेबनान पर भी कब्जा करके उसे अपना एक ऑटोनोमस राज्य बना दिया, हाफिज अल असद अल्वातिस शिया थे पर सीरिया में 98% आबादी सुन्नी मुस्लिम रहते थे |

 

 सीरिया को हाफिज ने एकदम प्रगतिशील देश बना दिया था, बुरखा हिजाब की  अनिवार्य खत्म कर  महिलायो को आरक्षण देकर संसद में 40% महिलाओ को भेजा ताकि महिलाओ भी देश समाज से अछूते न रहे महिला पुरुष कदम से कदम मिलाकर देश के विकास  में भागीदारी हो,उस वक्त होम्स, दमास्कस, अलेप्पो, दारा,हामा आदि शहर दुनिया के आधुनिक शहरों में एक हो गए थे, पुरे विश्व से पर्यटक का केंद्र सीरिया बनते जा रहे था, उन्होंने मेडिकल कोलेजो में महिलाओ के लिए 50% सीटें रिजर्व की ताकि खूब महिलाए डाक्टर बन सके |

 

हाफिज अल असद के चार बेटे में से सबसे बड़े बेटे को उतराधिकारी चुना गया था पर संयोग से वह कार एक्सीडेंट में मारा गया | बाद में उसके दुसरे बेटे बशर अल असद को उतराधिकारी बना दिया गया, ओ पेशे से आई सर्जन थे ओ लन्दन के एक प्रतिष्ठित हॉस्पिटल में कार्यरत थे उन्हें सीरिया में बुलाकर उतराधिकारी बनाया गया | उन्हें सेना में ब्रिगेडियर रैक देकर सेवा करने को कहा गया, आठ साल के बाद अपने पिता के निधन के बाद सत्ता संभाली ,सत्ता सँभालते ही सीरिया को विकसित तथा कठमुल्ला मुक्त देश बनाये रखा | उनकी पत्नी भी  सीरियन मूल की थी जो लन्दन में पली बढ़ी थी, जो हार्वड की प्रवेश परीछा में पहले स्थान पर आई थी |

 

अमेरिका में 11 सितम्बर हमले के बाद जब जार्ज बुश ने इराक और अफगानिस्तान पर हमला किया, तब उन्होंने अमेरिका को पूरा सहयोग देने का वादा पर मुकर गया | ये सोच कर मुकर गया की  बगल इराक में अमरीका तख्ता पलट कर रहा है तो कल को अमेरिका उनका भी तख्ता पलट कर सकता है इसलिए उन्होंने सीरिया की जेलों में बंद लाखो कट्टरपंथी मुस्लिमो को इस शर्तो पर रिहा कर दिया की वो इराक जाकर अमरीकी सेना से लड़ेंगे, यही उनकी भरी गलती थी और इसका परिणाम आप सब भी देख सकते हो |

जब सीरिया इराक युद्ध में कूदा तो अमेरिका ने एक खतरनाक चाल चली जिसमे अमेरिका ने ग्वांतानामो बे जेल में बंद मिडिल ईस्ट के कई खूंखार आतंकियों को इस शर्त में छोड़ दिया की सीरिया में विभिन्न शहरों में जाकर सुन्नी जनता को भड़काओ और कहो की एक शिया तुम पर राज कर रहा है, सीरिया को आधुनिक बना रहा है, शरिया, शरीयत खत्म कर दिया है ये हराम है | बस क्या था मुल्ला रोड पर  आ गए जिसने सीरिया को कहाँ से कहाँ पंहुचा दिया वही के  धर्माध जनता ने बसर की खून का प्यासा हो गया उसे गद्दी से उतारने के लिए बगावत कर बैठे |

 

 उधर बशर अल असद रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के शरण में  चले गये और क्रूड की डील पक्की कर रूस ने अपनी सेना सीरिया भेज दिया, उसके बाद बशर अल असद ने बेहद सख्ती से विद्रोह को दबाया, इसमें सीरिया का काफी नुकसान उठाना पड़ा सीरिया खंडहर बन गया | दुसरे तरफ अमेरिका ने विद्रोहियों के साथ मिलाकर विद्रोहियों के कब्जे वाले जगह में जमकर क्रूड की लूट पाट की | ये अतीत बताता हैं की ये कबीलाई समाज किसी की नही होते इन्हें तो सबकुछ दिया ऊपर वाले ने पर दिमाग नाम का कोई चीज नही दिया |

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